Monday, November 3, 2014

bahut din main ... Gulzar

बहुत दिन मैं तुम्हारे दर्द को सीने  पे लेकर
जीभ कटवाता रहा हूँ
उसे शिव की तरह लेकर गले में,
सारी पृथ्वी घूम आया हूँ
कई युग जाग कर काटे हैं मैंने।!

तुम्हारा दर्द दाख़िल हो चूका अब नज़्म में,
और सो गया हैं
पुराने सांप को आखिर अँधेरे बिल में जाके नींद आई !!!

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